जामताड़ा। जिले के चेंगायडीह गांव से उभरकर आई एक अद्भुत सफलता की कहानी पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। आर्थिक तंगी और संघर्षों के बीच साइकिल मिस्त्री के रूप में वर्षों तक मेहनताना कमाने वाले अबु तालिब अंसारी ने अपने जीवन में संघर्षों को हराकर वह कर दिखाया जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
कठिन हालातों में भी उन्होंने शिक्षा को प्राथमिकता दी और अपने तीनों बेटों को उस मुकाम तक पहुँचाया, जहाँ पहुँचकर वे न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर रहे हैं।
अबु तालिब के दूसरे बेटे फिरोज अंसारी का चयन 2018 में दरोगा पद पर हुआ, जो आज पुलिस सेवा में ईमानदारी से कार्यरत हैं।
2025 में बड़े बेटे शमीम अंसारी ने सहायक आचार्य बनकर शिक्षा जगत में कदम रखा।
उसी वर्ष छोटे बेटे अफरोज अंसारी लेबर एनफोर्समेंट ऑफिसर के पद पर चयनित होकर श्रमिक हितों की रक्षा की जिम्मेदारी निभाने जा रहे हैं।
गांव में इस उपलब्धि को लेकर अपार हर्ष का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अबु तालिब की दृढ़ इच्छाशक्ति, त्याग और लगन ने यह सिद्ध कर दिया कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी भी कठिन क्यों न हों, शिक्षा और संकल्प सफलता की सबसे बड़ी चाबी हैं।
